बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

पेट में गैस की समस्या का समाधान

पेट में गैस की समस्या का समाधान


1) पेट में गैस क्यों बनती है।

हमारे शरीर में पेट मे गैस होने के अनेक कारण है।जिनमे से कुछ मुख्य कारण निम्न है।
1) भोजन को चबा चबा के न खाना -

यदि हम भोजन को ठीक से चबा के नही खाते है। तो इससे हमारे शरीर को इसे पचाने में टाइम लगता है। और इतना देर मे बाहरी कारण जैसे ( ठन्डे पानी को पी जाना ) इससे हमारे पेट की एचसीएल HCL एसिड खत्म हो जाता है। या ठंडा हो जाता है । जिससे कुछ भोजन पच नही पाता और वो सड़ने लगता है। जिससे गैस बनती है।

2) ज्यादा दिनों तक ठीक से फ्रेश न होना - यदि हम कुछ दिनों तक फ्रेश न हो या फिर ठीक से फ्रेश न हो तो कुछ अवसिस्ट पदार्थ अंदर रह जाते है और ये सड़कर गैस बनाते है।


3) ज्यादा खाना खाने, धूम्रपान करने, चूइंगम चबाने या सामान्य मात्रा से ज्यादा हवा निगलने से भी अत्याधिक गैस बन सकती है

4) ज्यादा समय तक एक ही जगह पर विश्राम करने से
क्योंकि होता ये है कि जब हम एक ही जगह ज्यादा देर तक बैठे रहते है तो नीचे से कुछ दबाव लगता है। जिससे भी गैस बन जाती है।

5) कार्बोनेटेड पेय पदार्थों का सेवन करने से

6) चुइंगम और कठोर कैंडी का सेवन करने से – जब आप चुइंगम चबा रहे होते हैं, या कैंडी को चूस रहे होते हैं। उस दौरान आप सामान्य मात्रा से कहीं ज्यादा हवा को निगल लेते हैं।

2) पेट में गैस के लक्षण


पेट में अत्यधिक गैस होने के लक्षणों में निम्न शामिल हैं:

गैस निकलने में वृद्धि या बार-बार गैस आना
बदबूदार गैस बनना
बार-बार डकार आना
पेट फूलना (या सूजन)
पेट में दर्द और एक अजीब सी बेचैनी होना
पेट की अत्यधिक गैस आम तौर पर कोई गंभीर स्थिति पैदा नहीं करती, लेकिन मेडिकल जांच जल्दी होनी चाहिए अगर मरीज में पैट गैस के साथ ये निम्न लक्षण भी दिखने लगें

पेट में गंभीर ऐंठन होना चलने मे समश्या
डायरिया होना
कब्ज महसूस करना
मल में खून आना
बार बार उल्टी और मतली
पेट की दाहिनी तरफ दर्द।

3) पेट में गैस के उपाय या इलाज


पेट में गैस के उपचार का लक्ष्य पेट के अंदर से निकलने वाली बदबूदार गैस को कम करना होता है। इसके लिए मेडिकल उपचार में एंटीबायोटिक्स दवाइयां शामिल होती हैं, अगर गेस्ट्रोइसोफेगल ट्रैक्ट में बैक्टीरिया की असामान्य वृद्धि होने का शक है या परजीवी से संक्रमण होने के कुछ सबूत मिलें तो, आप

कुछ आशाजनक अध्ययनों नें प्रोबायोटिक्स की मदद से गैर-आक्रामक बैक्टीरिया को आहार देकर जांच की जाती है, ताकि आक्रामक बैक्टीरिया को बाहर निकाला जा सके, इसके अलावा अभी कोई स्थापित उपचार उपलब्ध नहीं है।

आंतों के कार्यों का विनियम कार्य करना आवश्यक होता है, कब्ज का उपचार भोजन में फाइबर की मात्रा को बढ़ाकर या कुछ जुलाबों की मदद से किया जा सकता है।
जिन मामलों में किसी व्यक्ति के हवा निगलने का कारण चिंता होती है, ऐसे में डॉक्टर मरीज को मानसिक स्वास्थ्य और

दिनभर की आदतों में सुधार लाने की सलाह दे सकते हैं।
पेट की गैस के उपचार के लिए ऑवर-द-काउंटर (बिना पर्ची) दोनो प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं,

जो व्यक्ति गैस का कारण बनने वाले भोजन को नहीं छोड़ सकते, उनके लिए काफी सारी ऑवर-द-काउंटर दवाइयां हैं जो पेट गैस के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं,

बीनो - यह एक एंजाइम सप्लिमेंट है जो बीन (सेम आदि) को ग्रहण करने के साथ प्रयुक्त किया जाता है। इसमें वसा को पचाने वाले एंजाइम होते हैं। यह तब लिया जाता है, जब शरीर वसा, बीन्स व अन्य सब्जियों को पचाना कम कर दे। लेक्टोज या फाइबर की वजह से बनने वाली गैस को बीनो प्रभावित नहीं करता, इसको ऑवर-द-काउंटर खरीदा जा सकता है।

एंटीएसिड्स – जैसे डी-जेल (Di-gel) जिसमें सिमेथिकोन (एंटी गैस गोली या गैस की गोली भी कहा जाता है) होता है। यह एक फोमिंग एजेंट होता है, जो पेट में गैस के बुलबुलों को आपस में जोड़ देता है जिसके बाद गैस डकार के रूप में आसानी से बाहर निकल जाती है,

4) पेट में गैस की रोकथाम के उपाय


खाद्य पदार्थों का सेवन ना करना – साधारण रूप से गैस का कारण बनने वाले खाद्य पदार्थ जैसे, राजमा, मटर, मसूर, बंदगोभी, फूलगोभी, प्याज, ब्रोकोली, मशरूम और साबुत अनाज हैं। इसके अलावा कुछ प्रकार के फल, बीयर और अन्य कार्बोनेटेड पेय पदार्थ भी पेट में गैस उत्पन्न करने का काम करते हैं। अगर गैस में वृद्धि होती जा रही है, तो कुछ समय के लिए इन चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।

लेबल पढ़ें – अगर गैस की समस्या का कारण डेयरी उत्पाद लग रहे हैं, तो शरीर में लेक्टोज इंटोलेरेंस की समस्या हो सकती है, जिसमें दूध उत्पादों को पचाने में कठिनाई होती है। अपने खाने वाली चीजों पर ध्यान रखें कि आप क्या खा रहे हैं? लेक्टोज की कम मात्रा या लेक्टोज़ मुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने की कोशिश करें। कुछ चीनी मुक्त खाद्य पदार्थो में अपचनीय कार्बोहाईड्रैट्स के तत्व पाए जाते हैं, परिणाम स्वरूप वे भी गैस को बढ़ा सकते हैं।

कम वसायुक्त भोजन खाएं – ज्यादा वसा वाले भोजन पाचन क्षमता और गति को कम कर देता है, जिससे ज्यादा समय लगता है, बिना पचा हुआ भोजन ज्यादा देर रहने से उसमें गैस बनने लगती है।

अस्थायी रूप से उच्च फाइबर खाद्य पदार्थों में कमी – फाईबर में कई प्रकार के गुण होते हैं, लेकिन कई उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ गैस के भी बड़े उत्पादक होते हैं। कुछ समय फाइबर के सेवन से बचें और उसके बाद धीरे-धीरे अपने आहार में शामिल कर लें।

5) पेट में गैस बनने पर क्या करना चाहिए - 


अगर आपके पेट में गैस बन रही है, तो आप निम्नलिखित तरीके से प्राथमिक उपचार कर सकते हैं -

आराम से खाना खाएं और खाना पूरी तरह से चबाएं। अगर आप जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं, तो आप खाने के साथ हवा भी अंदर ले लेते हैं, जिससे गैस बनती है।

ऐसी चीजें न खाएं जिनसे गैस होती है, जैसे सेब, ब्रोकोली, प्याज, दूध और आइस क्रीम आदि। इन चीजों में ऐसे पदार्थ होते हैं जो आसानी या जल्दी से पचते नहीं, जिससे गैस बनती है। ध्यान रखें कि कुछ खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ साथ में खाने-पीने से भी पेट में गैस होती है।

एक बार में बहुत सारा खाना खाने की बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में कम खाना खाएं।
पेट में गैस रोक के रखने से आपको पेट दर्द और पेट फूलने की समस्या हो सकती है, इसीलिए गैस को जबरदस्ती रोक कर न रखें, इसे निकलने दें। इसके अलावा मल को रोकने से भी गैस बनती है।

कोशिश करें कि खाना खाते समय बीच में पानी या अन्य तरल पदार्थ न लें, इससे खाना अच्छे से नहीं पच पाता है। हो सके तो खाना खाने से आधा घंटा पहले ही तरल पदार्थ पी लें।
अगर आपको गैस रहती है, तो अजवाइन इसका एक अच्छा उपाय है। अजवाइन में ऐसे पदार्थ होते हैं, जो पाचन क्रिया आसान बनाते हैं, इसीलिए आप दिन में एक बार आधा चम्मच अजवाइन पानी के साथ ले सकते हैं।

पेट की गैस के लिए एक्टिवेटिड चारकोल मददगार हो सकता है, ये गैस भी कम करता है और पाचन क्रिया को भी सुधारता है। एक्टिवेटिड चारकोल तरल पदार्थ या गोलियों के रूप में बाजार में उपलब्ध है।

ऐसा माना जाता है कि खाना खाने के बाद सीधा बैठने से गैस की समश्या बढ़ जाती है अतः आप खाना खाने के बाद कम से कम 500 कदम चले ।




सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)





हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)

Hi Frnds
आपका हमारे ब्लॉग motivastional abhi में आपका स्वागत है। आज मैं आपको हाई ब्लड प्रेशर के बारे में बताऊंगा। आज की इस पोस्ट मे हम देखेंगे कि हाई ब्लड प्रेशर का क्या कारण है। इसे कैसे नियंत्रित कर सकते है।इसके कुछ सामान्य उपचार और इससे होने वाले गम्भीर खतरे आदि।

1) हाई ब्लड प्रेशर क्या है?

हमारे शरीर में नियंत्रित तरीके से रक्त का संचरन होता रहता है। यानिकि रक्त हमारे धमनियों मे एक सामान्य चाल से बहता रहता है। लेकिन जब  धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। तो दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है।

जैसे की जब हम दौड़ते है। या कोई भारी काम करते है। या कोई गेम खेलते है। तब हमारा bp high होता है। लेकिन धीरे धीरे ये आटोमेटिक नार्मल हो जाता है। समश्या तब आती है जब ये आटोमेटिक नॉर्मल न हो । हलाकि इसके नार्मल न होने के बहुत सारे कारण जो हम आगे पड़ेंगे । जब ये नार्मल नही हो पाता है । तब अनेक प्रकार की प्रॉब्लम उतपन्न होती है। जैसे की हार्टअटेक,ब्रेन हेमरेज, या पेरालीसिस etc.

रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन (सिस्टोल) हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता (डायस्टोल) हो रही है। आराम के समय पर सामान्य रक्तचाप 100-140 mmHg सिस्टोलिक (उच्चतम-रीडिंग) और 60-90 mmHg डायस्टोलिक (निचली-रीडिंग) की सीमा के भीतर होता है। उच्च रक्तचाप तब उपस्थित होता है यदि यह 90/140 mmHg पर या इसके ऊपर लगातार बना रहता है।

2) हाई ब्लड प्रेशर के कारण

High BP के अनेक कारण है। जो निम्न है।

A) मानसिक तनाव

यह मुख्य कारणों मे से एक है। जब हम किसी चीज़ जैसे परिवार से सम्बंधित,व्यवसाय से सम्बंधित,या किसी और चीज़ से सम्बंधित अधिक से अधिकचिंता करते है। तब हमारा bp हाई हो जाता है।

B) धूम्रपान करने से।

धूम्रपान करने के कारण रक्त वाहिकाएं संकीर्ण हो जाती हैं, क्योंकि जब हम सिगरेट का सेवन करते है।तब इसका धुंआ ह्रदय की मांसपेशियों मे जम जाता है। जिसके परिणामस्वरूप उच्च रक्तचाप होता है। धूम्रपान से रक्त में ऑक्सीजन की भी कमी हो जाती है, जिससे हृदय क्षतिपूर्ति के लिए तेजी से पंप होता है, जिससे रक्तचाप में वृद्धि हो सकती है। जब धूम्रपान का सेवन करते है। तो हमे बार बार खाँसी आती है और इससे भी BP हाई होता है।

C) बढ़ती उम्र के साथ

उम्र बढ़ने के साथ साथ उच्च रक्तचाप होने का खतरा और अधिक होता है। महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में हाई ब्लड प्रेशर ज्यादा आम है हालांकि, 60 वर्ष की आयु के बाद दोनों पुरुषों और महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर समान रूप से अतिसंवेदनशील होता है। क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ जीर्णता आती है और मांसपेशिया सिकुड़ने लगती है।

D) अनुवांशिकता

अगर आपके परिवार में किसी करीबी सदस्य (माता या पिता) को उच्च रक्तचाप है, तो आपको यह रोग होने की संभावना काफी अधिक हो सकती है। और यह हमारे जीन्स पर निर्भर करता है।

E) अधिक वसा वाले आहार से

अधिक वसा वाले आहार जैसे जंक फूड,होटल में बनने वाले समान जैसे मिठाईया,समोसे,कचोरी आदि। जब इनका सेवन हम रोज रोज करते है। या उन चीज़ों का सेवन जो अधिक वसा वाली होती है। जिससे इनका वसा हमारी धमनियों मे जम जाता है । और रक्त को संचार करने मे परेशानी आती है। फलस्वरूप bp हाई होने लगता है।

F) कुछ और निम्न कारण

सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में अधिक वजन वाले और मोटापे से ग्रस्त लोगों में उच्च रक्तचाप विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
वजन बहुत अधिक होना: जितना ज़्यादा आपका वजन होगा, उतनी ज़्यादा ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को ऊतकों तक पहुंचाने के लिए खून की ज़रूरत पड़ेगी। जितना ज़्यादा रक्त वाहिकाओं में रक्त का बहाव बढ़ेगा, उतना ज़्यादा दबाव हृदय की दीवार पर पड़ेगा।
शारीरिक रूप से सक्रिय न होना: जो लोग शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होते उनका हृदय दर ज़्यादा होता है। जितना ज़्यादा हृदय दर होगा, उतनी ज़्यादा मेहनत हृदय को हर एक संकुचन में लगेगी और उतना ज्यादा दबाव धमनियों पर पड़ेगा। शारीरिक गतिविधि कम होने से वजन बढ़ने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
तम्बाकू का इस्तेमाल करना: न सिर्फ धूम्रपान और तम्बाकू चबाने से अस्थायी रूप से रक्तचाप बढ़ जाता है, बल्कि तम्बाकू में मौजूद रसायन धमनियों की दिवार की अंदरूनी परत को नष्ट कर देते हैं। जिसकी वजह से धमनियां संकीर्ण हो जाती हैं और रक्तचाप बढ़ जाता है। सेकंड हैंड स्मोकिंग (धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के संपर्क में आना) से भी रक्त चाप बढ़ जाता है।
आहार में पोटैशियम की कमी: पोटैशियम हमारी कोशिकाओं में सोडियम का संतुलन बनाने में मदद करता है। अगर आहार में पोटैशियम की कमी होगी, तो खून में सोडियम की मात्रा बढ़ जाऐगी।
आहार में विटामिन डी की कमी: आहार में विटामिन डी की कमी से रक्तचाप बढ़ सकता है । विटामिन डी की कमी से किडनी द्वारा बनाये जाने वाले एंजाइम पर असर पड़ेगा जिससे रक्त चाप बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
शराब का अत्यधिक सेवन करना: अधिक समय तक शराब का सेवन करने से , हृदय को नुक्सान पहुंच सकता है। शराब का सेवन संतुलन में करें।

3) हाइ ब्लड प्रेसर के लक्षण

हाई ब्लड प्रेशर कई बार एक ‘साइलेंट किलर’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि अधिकांश लोगों को कोई लक्षण अनुभव नही होते हैं जब तक उन्हें दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी कोई गंभीर समस्या नहीं हो जाती। हालांकि कुछ लोगों को निम्न लक्षण हो सकते हैं:
नाक से खून बहना
सिर दर्द
सांस लेने में दिक्कत
चक्कर आना
सीने में दर्द
मूत्र में खून आना
उच्च रक्तचाप की वजह से कोई लक्षण नजर नही आते हैं, इसलिए उच्च रक्तचाप और इसकी जटिलताओं से बचने के लिए, रक्तचाप के स्तर की नियमित रूप से जाँच करानी चाइए । यदि आप इसको हल्के में लेते हैं तो यह दिल के दौरे, स्ट्रोक, हार्ट फेल होने या अंधेपन जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

4) हाई ब्लड प्रेशर से होने वाली गम्भीर समश्या

हाई ब्लड प्रेशर के कारण आपको निम्न समश्या का सामना करना पड़ सकता है।
A. इसकी वजह से किडनी फेल या सिकुड़ने की समश्या होती है।
B. आपको ब्रेन हेमरेज भी हो सकता है।
C. हार्ट अटैक भी आ सकता है।
D. जिन लोगो का bp हाई होता है उनको चिड़चिड़ापन ज्यादा रहता जिसका असर उनकी मानशिकता पर पड़ता।
अनियंत्रित हाई बीपी आपके सोचने, याद रखने और सीखने की क्षमता पर असर दाल सकता है। याददाश्त सम्बन्धी समस्याएं हाई बीपी वाले लोगों में आम हैं।


5) हाई ब्लड प्रेशर मे खाने योग्य चीजे

नमक की मात्रा 1500-2400 मिली ग्राम तक ही सीमित रखनी चाइए । सब्जियों को कच्चे रूप में ही खाने की कोशिश करें। अपने आहार में शाकाहार का ही सेवन करें क्योंकि अत्यधिक प्रोटीन युक्त आहार का सेवन अच्छा नहीं होगा। आप को तरबूज, नारंगी, केले, सेब, आम, नाशपाती, पपीता और अनानास जैसे फल का सेवन करना चाहिए जो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए बहुत अच्छे होते हैं। तरबूज के बीज का सेवन उच्च रक्तचाप के लिए एक शक्तिशाली उपचार है। आप अपने आहार में सलाद के रूप में खीरा, गाजर, मूली, गोभी, प्याज और टमाटर का सेवन करें जिससे आपको अपने उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। आप अपने आहार के रूप में उच्च मात्रा में मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम और फाइबर का सेवन करें क्योंकि यह आपके दिल को स्वस्थ रखने में मदद करेंगे।

5) हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के उपाय

B P को नॉर्मल करने के लिए व्यायाम, योग एक अच्छा और अचूक साधन है। यदि आप नियमित योग करते हैं । तो आपको bp की समश्या कभी नही होगी।
हाई बीपी के लिए योग और व्यायाम

अधिक वजन होने पर हृदय पर वजन बढ़ता है, इस प्रकार हृदय के कार्य पर बुरा असर पड़ता है। नियमित शारीरिक व्यायाम न केवल आप को स्वस्थ रखता है, यह शरीर का वजन नियंत्रित रखने में मदद करता है और यह बेहतर रक्त परिसंचरण में भी मदद करता है। लेकिन अधिक व्यायाम करने से बचें। आप केवल 30 मिनट पैदल चलें; यह आप के लिए फायदेमंद होगा। इससे आप को सूरज की रोशनी से आवश्यक विटामिन डी भी प्राप्त करने में मदद मिलेगी। विटामिन डी की कमी के कारण भी उच्च रक्तचाप की समस्या होती है।
योगासन का अभ्यास भी आप के लिए बहुत फायदेमंद होगा। इसके लिए आप धनुरासन, ताड़ासन, वज्रासन, शलभासन और भुजंगासन जैसे योगासन कर सकते हैं। ये आपकी उच्च रक्तचाप की समस्या में बेहद फायदेमंद हैं। प्राणायाम और ध्यान जैसे विश्राम के अभ्यासों से अपने आप को तनावमुक्त रख सकते हैं। उच्च रक्तचाप के मरीज को 90 मिनट प्रतिदिन हल्का व्यायाम जैसे सैर करना आदि की सलाह दी जाती है।
हलाकि bp को अनेक प्रकार के इलाज और मेडिसिन का यूज़ करके भी कंट्रोल किया जा सकता है।
लेकिन आप कभी भी बिना डॉक्टर के इसकी दवाई न ले। ये आपको और अधिक गम्भीर समश्या उतपन्न कर सकती है।

धन्यवाद।






रविवार, 24 फ़रवरी 2019

allergy ke karan aur upay (एलर्जी के कारण और उपाय)

allergy ke karan aur upay (एलर्जी के कारण और उपाय)

Hi frnd
आज हम एलर्जी के बारे में बात करेंगे ।ये क्यों होती है। और इसका क्या उपाय है। हम इसे कैसे ठीक कर सकते है। यदि आप डेंड्रफ ,पिम्पल और दाद से परेशान है । तो आप मेरी जो मैंने पहले बनाई है।उन पोस्ट को पड़े आप जरूर इनका उपचार कर पायंगे । और साथ ही आप अपनी प्रॉब्लम को बताये मुझ से शेयर करे ताकि मे और पोस्ट बना सकूँ।
1) एलर्जी क्या है?
यह एक आम समस्या है। जो किसी भी उम्र मे हो सकती है । एलर्जी आप के लिए अच्छी और बुरी दोनो तरह की हो सकती है। यह इसके प्रकार पर निर्भर करती है। एलर्जी एक प्रकार से त्वचा की प्रतिक्रिया होती है, जो आम तौर पर किसी विशेष भोजन, कपड़े या ड्रग्स आदि जैसे पदार्थों के खिलाफ अपना रिएक्शन देती है। एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थ एलर्जन होते हैं, जो शरीर से बाहर की वस्तुओं से बनते हैं।
एलर्जी बहुत आम होती हैं, विशेष रूप से बच्चों में। कुछ बच्चों में उनके बड़े होने के साथ-साथ उनकी एलर्जी भी गायब हो जाती हैं, लेकिन कुछ बच्चों में यह लंबे समय तक रह सकती है।


लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि एलर्जी बचपन में ही शुरू होती हैं। वयस्कों में उन चीजों से भी एलर्जी होने लग सकती है जिनसे उन्हें पहले एलर्जी नहीं थी।
एलर्जी एक ऐसी परेशानी बन सकती है, जो रोजाना की गतिविधियों में प्रभाव डालती है, हालांकि ज्यादातर एलर्जी के मामले हल्के ही होते हैं, जिनको पूरी तरह से नियंत्रण में रखा जा सकता है। गंभीर एलर्जी के मामले बहुत आम बात नहीं हैं, लेकिन फिर भी उनके प्रति सचेत रहना चाहिए। और जिन चीजों से एलर्जी हो उन्हें कभी भी उपयोग न करे या उनसे दूर रहे। क्योंकि ये आपके इम्यून सिस्टम को भी बिगाड़ सकती है।
2) एलर्जी के कारण
एलर्जी की समस्या किसी व्यक्ति को जन्म से (वंशागत) भी मिल सकती है।
हर शरीर में एंटीबॉडीज होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के एजेंट होते हैं, और शरीर में घुसने वाले बाहरी कण से लड़ते हैं। एलर्जी से ग्रसित शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हानिकारक और गैर-हानिकारक पदार्थों के बीच अंतर नहीं बता पाती। अगर आपको एलर्जी है, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडीज का निर्माण करती है, जो कुछ विशेष पदार्थों को हानिकारक समझ लेते हैं, भले ही वह खतरनाक ना हो।
हालांकि, एलर्जी को विकसित करने वाले कारणों की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे पदार्थ हैं जो आमतौर पर एलर्जी प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं।
पशुओं के बालों की रूसी,
मधुमक्खी या अन्य कीड़ों द्वारा काटना,
कुछ खाद्य पदार्थ, जिनमें नट्स, सीपदार मछली, और अनाज शामिल हैं,
कुछ दवाएं, जैसे पेनिसिलिन या एस्पिरिन, या फिर किसी भी अन्य प्रकार की दवाओं का साइड इफेक्ट्स
कुछ प्रकार के पौधे,
पराग या फफूंदी आदि,
धूल के कण।
कुछ लोगो को ठन्डे पानी की एलर्जी होती है। कुछ लोगो को घास या उसके कण जो अत्यंत सूक्ष्म होते है उनसे भी हो सकती है।
अधिकांस छोटे मछर और किट पतंग जैसे मधुमखी इनके डंक में एक एसिड होता है जो हमे एलर्जी करता है।
3) एलर्जी के लक्षण
जिन चीजों से आपको एलर्जी हैं, उनके संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों के भीतर आपको एलर्जी की प्रतिक्रिया के लक्षण महसूस होने लग सकते हैं। हालांकि कई बार लक्षण धीरे-धीरे कुछ घंटों में विकसित होते हैं।
जो निम्न है।
छींक आना
नाक बहना या रूकना
आंखों से पानी आना या खुजली होना


साइनस, गले, या कान के छिद्रों में खुजली
कान की बंद होना (कान में द्रव भरना)
पोस्ट-नेजल ड्रेनेज (मुंह से बलगम आना)
होंठ, जीभ, आँखों या चेहरे पर सूजन


पेट में दर्द, बीमार महसूस होना,
मतली या उल्टी, दस्त
सूखी, लाल या रुखी त्वचा
लक्षण जो कम सामान्य हैं, जिनमें शामिल हैं
सिर दर्द
सांस लेने में परेशानी
घरघराहट (wheezing)
खाँसी
कुछ विरले मामलों में एलर्जी एक गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रिया को जन्म देती है, जिसे एनाफिलेक्सिस (anaphylaxis) या एनाफिलेक्टिक शॉक (anaphylactic shoc) कहा जाता है, जो जीवन के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है, और एलर्जिक पदार्थों के संपर्क में आने से यह कुछ ही मिनटों के भीतर विकसित होने लग जाता है।
एनाफिलेक्सिस के लक्षणों में उपरोक्त में से कोई भी लक्षण शामिल हो सकता है, और उनके साथ-साथ निम्न लक्षण भी हो सकते हैं:
गले और मुँह में सूजन
सांस लेने में तकलीफ
चक्कर आना
उलझन (विभ्रान्ति)
त्वचा या होंठ नीले पड़ जाना
चेतना खोना या बेहोश होना
एनाफिलेक्सिस एक मेडिकल आपात स्थिति है, जिसको तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है।
इस तरह के लक्षण दिखे तो आप अपने डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करे।
4) एलर्जी का उपचार
एलर्जी के लिए मार्केट मे बहुत सारी दवाई और crem मौजूद है। पर आप बिना डॉक्टर की सलाह के इन दवाई का उपयोग न करे क्योंकि ये आपको और ज्यादा हानि पहुंचा सकती है। यदि आपको सामान्य एलर्जी हो तो आप अविल टेबलेट ले सकते है। और कुछ सामान्य दवाई की फोटो नीचे दी गई है।





यदि आपको मेरी पोस्ट अछि लगी हो तो लाइक करे और कॉमेंट करके जरूर बताएं।
धन्यवाद





दाद (रिंगवर्म) का उपचार


Hi Frnd
आज मे आपको दाद (Ringworm) के बारे में बताऊंगा । जिसमे उसका इलाज होने का कारण और कुछ सावधानियां भी  बताऊंगा।
यदि आप पिम्पल और डेंड्रफ जैसी किसी स्किन प्रॉब्लम से परेशान है तो आप मेरे ब्लॉग पर उसका इलाज पा सकते है।

1). दाद क्या है? 


दाद शब्द का प्रयोग फंगल संक्रमण को दर्शाता है ।जिसे सामान्य भाषा में फफूंद कहते है। जो त्वचा की ऊपरी परत पर होता हैं।
दाद को मेडिकल की भाषा में टिनिया कहते हैं,
दाद संक्रमण के कुछ प्रकार होते हैं जिनमें शामिल हैं - कोर्पोरिस (Corporis), टिनिया कैपेटिस (Tinea capitis), टिनिया पेडिस (Tinea pedis) और टिनिया क्रूरिस।
दाद एक परतदार और पपड़ीदार चकत्ते के कारण बनता है जो त्वचा पर गोल और लाल चकत्ते के रूप में दिखाई पड़ता है। दाद के अन्य संकेत और लक्षण भी हैं, जिनमें दाद की जगह से बाल झड़ना, खुजली, घाव या छाले आदि शामिल हैं।


दाद संक्रामक होता हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता हैं।
शारीरिक परीक्षण के दौरान त्वचा की जांच, माइक्रोस्कोप की सहायता से प्रभावित त्वचा को खुरचना और 'कल्चर' टेस्ट (Culture test) किये जा सकते हैं, जिनकी मदद से डॉक्टर बीमारी के लिए उचित इलाज का निर्धारण कर पाते हैं और इससे संबंधित अन्य स्थितियों का भी पता लगा पाते हैं। एक सफल उपचार के लिए एक उचित परीक्षण आवश्यक माना जाता है।
दाद को एंटी फंगल दवाइयों की मदद से ठीक किया जा सकता है। इसकी दवाइयां खाने और लगाने दोनों ही तरीकों हेतु उपलब्ध है।
2) दाद होने का कारण
दाद एक संक्रामक फंगल संक्रमण होता है, जो फफूंदी जैसे परजीवी के कारण होता है। यह परजीवी आपकी बाहरी त्वचा की कोशिकाओं में पनपता है और कई तरीकों से फैल सकता है जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
A) सम्पर्क मे आने पर - दाद संक्रमित व्यक्ति की त्वचा से किसी स्वस्थ व्यक्ति की त्वचा का संपर्क में आने पर यह रोग फैल सकता है।
B) जानवरो से - दाद से ग्रसित जानवर को स्पर्श करने से भी दाद का संक्रमण मनुष्य के शरीर फैल सकता है। जैसे घर के पालतू संक्रमित कुत्ते या बिल्ली को लाड़ प्यार करना। दाद का संक्रमण गायों में भी काफी सामान्य होता है।
C) किसी वस्तु से  - मानव या जानवर द्वारा किसी संक्रमित वस्तु को छूने से भी दाद का संक्रमण उनमें फैल सकता है। संक्रमित वस्तुएं जैसे कि कंघी, ब्रश, कपड़े, तौलिया, बिस्तर और चादर।
D) मिट्टी से मानव में फैलाव - यह काफी कम होता है पर अक्सर यह तभी होता है जब कोई व्यक्ति अत्याधिक संक्रमित मिट्टी के संपर्क में लंबे समय तक रहे!
3) दाद के लक्षण
दाद के लक्षण इसके संक्रमण के आधार पर अलग-अलग होते हैं,  निम्नलिखित लक्षण प्रमुख है:-
लाल चकत्ता, त्वचा में खुजली या जलन, त्वचा पर परतदार और उभरा हुआ दाग,
दाग का फैलना या बढ़कर फफोला बन जाना,
दाग का बाहरी तरफ से किनारों पर लाल हो जाना या एक अंगूठी के समान आकृति वाला दाग,
ऊपर की तरफ उभरे हुए किनारों वाले दाग।
अगर आपके नाखूनों में डर्मेटॉफाइटोसिस (Dermatophytosis) हो गया है, तो वे पतले और बेरंग हो सकते हैं। यहां तक कि उनमें दरार भी आ सकती है। यहीं स्थिति सिर में होने पर प्रभावित हिस्सों से बाल टूट या झड़ सकते हैं।
3) दाद का इलाज -
घरेलू उपचारों से दाद को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता। इसके लिए एंटी फंगल दवाएं लेनी पड़ती है।
सामान्य उपचार (Topical treatment) – जब दाद शरीर की त्वचा या जोड़ों जैसे भागों को प्रभावित करता है तो उसके लिए कई एंटी फंगल क्रीम उपलब्ध हैं। ये एंटी फंगल क्रीम दो हफ्तों के भीतर स्थिति को सामान्य कर देती हैं। इनमें क्लोट्रीमजोल, कीटोकोनाजोल जैसे अवयव शामिल हैं। ये उपचार पैर फंगल संक्रमण जैसे कई मामलों के लिए भी काफी प्रभावी होते हैं। इनमें काफी सारी ऐसी क्रीम हैं जो मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध हैं। यह आम तौर पर जरूरी होता है कि इन एंटीफंगल क्रीम का प्रयोग कम से कम दो हफ्ते तक किया जाए। एंटीफंगल दवा ल्यूलिकॉनेजोल एक एंटीफंगल टॉपिकल एजेंट है। यह 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के वयस्कों में टिनया क्र्यूरिस और टिनिया कार्पोरिस को ठीक करने के लिए उपयुक्त है। इससे एक सप्ताह तक हर रोज दिन में एक बार उपचार किया जा सकता है।

क्रमबद्ध उपचार (Systemic treatment) – कुछ फंगल संक्रमण सामान्य दवाओं पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करते, जैसे सिर और नाखून के फंगल संक्रमण। ऐसी जगहों पर जहां क्रीम ठीक से नहीं लगाई जा सकती वहां पर दाद की बढ़ती गंभीरता को रोकने के लिए खाने की दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। ग्रेसियोफल्विन (Griseofulvin) टेबलेट लंबे समय तक एक प्रभावी एंटीफंगल दवाई रही है, लेकिन अब अन्य दवाएं भी उपलब्ध हैं जो ग्रेसियोफल्विन के जितनी सुरक्षित और ज्यादा प्रभावी हैं। इनमें शामिल हैं टर्बिनेफाइन (Terbinafine), इंट्राकोनेजोल (Itraconazole) और फ्ल्यूकोनेजोल (Fluconazole)। खाने की दवाएं आमतौर पर तीन महीने तक दी जाती हैं।
4) दाद से कैसे बचें
दाद संक्रमण से बचने के लिए निम्नलिखित को ध्यान में रखना चाहिए:
A) अत्याधिक पसीने से बचें
B) संक्रमित जानवरों से दूर रहें – जानवरों में दाद अक्सर एक उभरे हुऐ चकत्ते की तरह दिखता है, जहां से उनके बाल उतरे हुऐ होते हैं। हालांकि कई मामलों में तो लोग बीमारी के लक्षणों पर ध्यान भी नहीं दे पाते। संक्रमण की संभावना को रोकने के लिए अपने पालतू जानवरों में दाद संक्रमण की जांच के लिए उन्हें पशु-चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।
अपनी निजी चीजों को किसी के साथ शेयर ना करें – अपनी निजी चीजें जैसे तौलिया, कंघी आदि को किसी और को प्रयोग न करने दें और दूसरे लोगों की चीजें भी खुद प्रयोग करने से बचें।
शरीर पर जो जगह संक्रमण से प्रभावित हैं उसे खुरचें या रगड़ें नहीं, क्योंकि ऐसा करने से संक्रमण शरीर के दूसरे भागों में भी फैल सकता है।
5) दाद में क्या खाये 
यदि आप दाद से परेशान है तो  निम्नलिखित चीज़ों का सेवन ज़्यादा करे ।
लहसुन -  दाद संक्रमित व्यक्ति को यह सलाह दी जाती है कि वह अपने मुख्य व्यंजन में लहसुन वाले व्यंजन को शामिल करें, जैसे पुलाव, करी, सूप, पास्ता या उबली हुई सब्जियां आदि। माइकल के अनुसार, लहसुन में एक एलीसिन नाम का केमिकल होता है, जिसमें एंटीफंगल के गुण होते हैं। दाद के उपचार या उसकी रोकथाम के लिए अगर आप लहसुन का नियमित उपयोग करने की योजना बना रहे हैं तो पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। क्योंकि, लहसुन आपके खून को पतला करने का भी काम करता है।
विटामिन-ई से परिपूर्ण खाद्य पदार्थ – विटामिन-ई की मदद से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है। जिसकी मदद से शरीर ल्यूकोसाइटिस (Leukocytes) का उत्पादन करती है, जो शरीर में फंगल को नष्ट करने का काम करते हैं।
6) दाद की बेस्ट मेडीसिन
A) pendurm plus crem
आप इसे अपने दाद वाली जगह पर रोज 2 से 3 बार लगाये।

B) ring out या जालिम लोशन
ये दोनों cream आपके दाद को जला देगी इनका उपयोग दिन मे 2 बार कर सकते है। यदि दाद फेस पर हो तो इसे न लगाएं क्योंकि ये स्किन को जला सकते है। 


C) Adcon 150 mg tablet
इसका उपयोग भी दाद मे किया जाता है।
D) Alflucoz 150 Mg Capsule
इन कैप्सूल का उपयोग दाद के लिए किया जाता है जो पूरी तरह से  फंगल इन्फेक्शन को कंट्रोल कर देता है। पर इन कैप्सूल का उपयोग कोई प्रेग्नेंट औरत नही कर सकती है
याद रहे इन सभी मेडिसिन का उपयोग डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।
धन्यवाद

डेंड्रफ (रूसी) का उपचार।।


Hi Friends
आज मे आपको डैंड्रफ (रूसी) के बारे में बताऊंगा जिसमे उसके होने के कारण और उपचार शामिल है।यदि आप पिम्पल से भी परेशान है । तो आप मेरे ब्लॉग पर इसके बारे मे पूरी तरह उपचार सहित पड़ सकते है।
डेंड्रफ क्या है?
डेंड्रफ एक सामान्य समश्या है। जो हमारे सिर पर बालो मे होती है। यह कोई बीमारी नही है। इसे मुख्य रूप से व्यस्क लोगो मे देखी जाती हैं। इसका कोई मुख्य कारण अभी तक नही मिल पाया है। लेकिन कुछ शोधों मे पाया गया कि रूसी बालो मे किसी गन्धगी या धूल के कारण होती है। डेंड्रफ हमारे सिर की नाजुक पर्त के विघटन के कारण होती है। जो बाहरी किसी धूल के कण या किसी अन्य infection के कारण विघटित होती है। जिसके कारण हमारे सिर मे खुजली होती है। और कभी कभी सिर की त्वचा पर सूजन आ जाता है और कभी कभी तो ब्लड भी निकलता है।


डेंड्रफ के कारण
डेंड्रफ का कोई मुख्य कारण तो नही है। पर इसके कुछ निम्न कारण है।
1). रूखी त्वचा
रूखी त्वचा डैंड्रफ का एक प्रमुख कारण है। यदि आपकी त्वचा भी रूखी है तो आपके बालों में भी रूसी होने की सम्भावना बढ़ जाती है और अगर इसका ठीक से इलाज नहीं किया जाता है, तो आपके सिर की रूखी और मृत त्वचा पपड़ी बनकर रूसी के रूप में सामने आती है।

2). यीस्ट के प्रति संवेदनशीलता
यदि गर्मियों की तुलना में सर्दियों के दौरान रूसी की समस्या अधिक हो रही है तो इस एलर्जी की वजह से यीस्ट युक्त भोजन न खाएं। क्योंकि ये भी त्वचा के रूखे होने का कारण हो सकता है। गर्मियों में कम रूसी होने का कारण शायद गर्मी के मौसम में तेज़ यूवी किरणें हैं। जिस कारण त्वचा रूखी नहीं हो पाती।

3). गंदा सिर
गंदा सिर, गंदगी और मृत कोशिकाओं का संकेत होती है। यह दो तरीकों से रूसी पैदा कर सकती है। मृत कोशिकाओं की अधिक उपस्थिति के कारण बालों में रूसी की समस्या शुरू होती है। गंदा सिर बहुत से रोगाणुओं को आकर्षित करता है यह यीस्ट और फंगस के विकास का कारण बन सकता है। इस से बचने का एकमात्र तरीका यह है कि आप समय समय पर अपना सिर धोती रहें और अपने स्कैल्प को साफ रखें। क्योंकि इस प्रकार के डैंड्रफ के कारण बाल भी झड़ते हैं।
4). सही से कंघी न करना
बालों को ब्रश करने से निश्चित तौर पर आपके बालों की सफाई हो जाती है। बालों में हर रोज कंघी करनी चाहिए। ऐसा करने से आप अपने सिर से गंदगी, मृत त्वचा आदि की सफाई करती हैं। नियमित रूप से कंघी करने से सिर में गंदगी एकत्रित नहीं होती।

5). सेबोरिक डर्मेटाइटिस
सेबोरिक डर्मेटाइटिस (Seborrheic dermatitis) त्वचा की ऐसी स्थिति है जिसमें सिर, कान और चेहरे की त्वचा पीली, चिकनी और पपड़ी युक्त बन जाती है। अगर आपकी त्वचा ऑयली है तो आपकी सिर की त्वचा खुजलीदार और दानेदार हो सकती है। ऐसा अत्यधिक तेल उत्पादन के कारण होता है और अत्यधिक तेल आपके सिर पर गंदगी और मृत त्वचा के रुकने का कारण बन सकता है। इसे नियंत्रित करने के सिर को साफ़ रखना ज़रूरी है। जब ज़रूरी हो शैम्पू करें। पुरानी कहावतों के अनुसार न चलें कि जल्दी जल्दी सिर धोने से बाल खराब होते है। आज के समय में गंदगी और प्रदूषण बहुत ज्यादा है। बालों को अनावश्यक नुकसान से बचाने के लिए, हल्के और संतुलित पीएच वाले शैम्पू का उपयोग करें।

6). चर्म रोग
जब किसी को सोरायसिस, एक्जिमा और अन्य त्वचा सम्बन्धी रोग होते हैं तो उन्हें रूसी की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। उन्हें बिना समय बर्बाद किये जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

7). लम्बे समय से दवा या हाई स्टेरॉयड का सेवन
जब कोई दवाओं और स्टेरॉयड का अत्यधिक या काफी दिनों से सेवन करता है, तो वो भी रूसी जैसी गंभीर समस्या का सामना कर सकता है और ऐसी स्थिति का जल्द से जल्द निदान किया जाना चाहिए, अन्यथा ये गंजेपन का कारण बन सकती है। ट्रैक पर वापस लाने के लिए आपको विशेषज्ञ द्वारा दी गई सलाह अनुसार, नियमित जांच और दवाओं का सेवन करना चाहिए।

8). मानसिक तनाव
इसकी कोई परवाह ही नहीं करता है, या समय की कमी के कारण परवाह नहीं कर पाता है। लेकिन मानसिक तनाव की वजह से भी गंभीर रूसी हो सकती है। तनाव से दूर रहने के लिए कम से कम 8 घंटे की नींद पूरी करें। इससे तनाव कोसों दूर रहता है।

9). आहार
हर कोई साफ़ और स्वस्थ भोजन की बात करता है लेकिन कोई भी वास्तव में उस पर ध्यान नहीं देता तभी आजकल केएफसी और मैक डी (McDonald's) इतना चलते हैं। लेकिन रूसी के कारण बालों के झड़ने से बचने के लिए ताजी सब्ज़ियों और फलों का सेवन करें। अच्छा आहार सिर की त्वचा को सही बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है|
डेंड्रफ का उपचार
1). कुछ सामान्य उपचार
a). अपने बालों को ज़्यादा गिला न रखे नहाने के तुरंत बाद सुखा ले।
b). ज्यादा कैमिकल वाले हेयर डाई, शैम्पू, और कैंडिस्नर का use न करे
c). गन्दगी से बचे और हो सके तो धूल से बचने के लिए कैप को भी लगाये।
2). मेडिसिन से उपचार
यदि आपको डेंड्रफ की ज़्यादा परेशानी है। तो किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाएं।
आप हिमालय एंटी डेंड्रफ शैम्पू और हिमालय एंटी डेंड्रफ आयल का उपयोग करे इनके उपयोग से 7 डे के अंदर डेंड्रफ की प्रॉब्लम खत्म हो जयगी। 



यदि आपको इसके सम्बंधित कोई qustion पूछना हो तो कॉमेंट करके बताये और मेरे इस पेज को अपने दोस्तों को शेयर करे
धन्यवाद

शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

Face care for pimples


Hi frnd
मैं आपको किसी भी बिमारी या मेडिसिन के बारे मे जानकारी दे सकता हूँ और आपकी उनसे सम्बंधित हेल्प कर सकता हूँ।
आज में आपको पिम्पल के कारण और उनका उपचार बताऊंगा।
पिम्पल क्या है?
पिम्पल एक सामान्य समश्या है। जिसका उपचार संभव है। ये छोटे और कभी कभी बड़े फुंसी के रूप मे हमारे चेहरे पर होते है। ये अधिकांश दर्द नही करते पर यदि हम इनको बार बार छूते है। या उन्हें फोड़ने की कोसिस करते है । तो ये दर्द कर सकते है।
पिम्पल होने के कारण
मुंहासा एक सामान्य त्वचा रोग है जिसकी वजह से फुंसी हो जाती है। जब आपकी त्वचा के अंदर केश कूप अवरुद्ध हो जाते हैं तो फुंसियां होती हैं। ज्यादातर फुंसियां चेहरे, गर्दन, पीठ, और कंधों पर होती हैं। मुंहासा किसी को भी हो सकता है, लेकिन यह किशोरों और युवा वयस्कों में सामान्य है। यह गंभीर नहीं होता है, लेकिन इसकी वजह से दागहो सकता है।

कोई नहीं जानता कि वास्तव में मुंहासे किस वजह से होते हैं। शायद इसमें किशोरावस्था और गर्भावस्था के दौरान होने वाले हॉर्मोन परिवर्तनों की भूमिका होती है। मुंहासे किसकी वजह से होते हैं इसे लेकर कई मिथक हैं। अक्सर चॉकलेट और तैलीय भोजन को दोष दिया जाता है, लेकिन इसके बहुत कम साक्ष्य मौजूद हैं कि लोगों के मुंहासे पर आहार का प्रभाव पड़ता है। एक अन्य मिथक यह है कि गंदी त्वचा की वजह से मुंहासे होते हैं; हालाँकि, ब्लैकहेड्स और फुंसियां गंदगी की वजह से नहीं होते हैं। तनाव से मुंहासे नहीं होते हैं, लेकिन यह इसे और ज्यादा खराब बना सकता है।
निम्नलिखित मुँहासे के सबसे सामान्य कारण हैं:

कई जीनों का प्रभाव

हार्मोनल परिवर्तन

अनैरोबिक बैक्टीरिया संक्रमण
यदि आपको मुंहासे हैं तो

अपनी त्वचा धीरे-धीरे साफ करें

अपनी त्वचा को छूने का प्रयास ना करें

धूप से बचें

मुंहासों के उपचारों में दवाएं और क्रीम शामिल हैं।
पिम्पल के लिए उपचार
मैं आपको पिम्पल के उपचार के लिए कुछ crem और tablets बता रहा हूँ पर plz दोस्तों इनका उपयोग आप अपने डॉक्टर  से consult करके या उनसे पूछ कर ले यदि आपको मुँहासे ज्यादा है तो आप किसी अच्छे dermetologist को दिखाएं ।
‌Azhithromycitin tablet
Azhithromycitin tablet 250 और 500 mg मे आती है। यदि आप 500 mg ले रहे है तो 3 tablet ले और दिन मे रोटी खाने के बाद रोज एक गोली खाले यदि आप 250 mg tablet ले रहे है तो 6 tablet ले और रोटी खाने के बाद रोज एक गोली खाले । ये tablet आपके मुहासे के बेक्टिरिया को खत्म कर देगी। और आपके मुहासे ठीक हो जायेंगे ।यदि आपको इनको खाने से कोई problem होती है तो आप इन्हें खाना बंद कर दे।
purodil सिरप
आप अपने आस पास के किसी भी मेडिकल स्टोर से इसे सिम्पलिय खरीद सकते है। आप इसे रोज दिन में एक बार Azhithromycitin tablet खाने के एक घण्टे बाद 2 ढक्कन या छोटी एक या 2 चमच पि सकते है। यह आपकी त्वचा को गोरा करेगा और पिम्पल को भी जड़ से खत्म कर देगा।
acnestar gel या persol 2.5 gel
आप acne star gel या persol gel दोनों मे से कोई एक ले सकते हैं।रोज रात को मुंह धोकर केवल मुँहासे वाली स्किन या केवल मुहासों पर लगाये।इनको लगा कर धुप मे न निकले।
acnestar साबुन या pichfeal फेसवास
आप रोज नहाते समय अपने चेहरे पर या तो acnestar साबुन लगाये या peachfeel फेसवाश से चेहरे को धो ले।
इन सभी teatment या इन सभी मेडिसिन का उपयोग करके आप केवल 10 से 15 दिन मे अपने पिम्पल से छुटकारा पा सकते है।
यदि आपका कोई qustion हो तो आप comment में पूछ सकते है। आप अपने दोस्तों को भी मेरे इस पेज को शेयर करे।
धन्यवाद।।।