शुक्रवार, 8 मार्च 2019

सकारत्मक और नकारात्मक ऊर्जाओं का वैज्ञानिक दृष्टिकोण


(सकारत्मक और नकारात्मक ऊर्जाओं का वैज्ञानिक दृष्टिकोण)


Hi friends
आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है।
आज मेरा टॉपिक कुछ हट के है। मगर मेरे ब्लॉग के लिए एक दम सही है। मेरे प्यारे दोस्त योगेंद्र  जिनका मे तहे दिल से शुक्र गुजार हूँ । जिन्होंने मुझे फॉलो किया और मुझ से कुछ वार्तालाप की जिसमे उन्होंने (मुझ से एक सवाल पूछा) सवाल ये की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा क्या है । और क्या इसका वैज्ञानिक आधार मिलता है। या नही।

           
     
मेरा जवाब - मैं इस जवाब की पूरी तरह पुष्टि नही करता और न ही में ये कहता हूँ की मैं सही हूँ । जो जवाब मैं देने जा रहा हु। उसका कोई भी और अच्छा जवाब दे सकता है। यह जवाब सिर्फ मैं खुद के प्रयोगात्मक पक्ष की तरफ से दे रहा हु । मै कुछ ऐसे लोगो के साथ रहा हूँ । ऐसे लोगो से मिला हूँ जिनका मैंने खुद ने अपनी ज़िंदगी में एक अलग पक्ष रख कर उनको प्रयोग किया है । उनको analysis किया है। जिसके अंतर्गत मैं कुछ सिख पाया हूँ। जो आज मैं कुछ बाते शेयर करूँगा।  प्रिय योगेंद्र जी आपका सवाल भी कुछ इसी तरह का है । जो मेरे प्रयोगात्मक जीवन में एक अहम भूमिका निभा चुका है।
सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा होती है। और इसका वैज्ञानिक तोर पर प्रमाण भी मिलता है। जैसे की हम जानते है कि जब हम चीज़ों के बुरे होने पर भी उनको सही दिशा मे सोचते है। और उनको सही साबित कर देते है। वो भी तब जब हजारो लोग इसे गलत साबित करने मे लग जाते है । और इन चीजों के गलत होने पर भी इनका सही और सटीक उपयोग करने योग्य बनाना ही सकारात्मकता कहलाता है और इसमें लगी ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा कहलाती है। और इनके विपरीत गलत सोचना नकरात्मकता तथा इसमें लगी ऊर्जा नकारात्मक होती है।
अब सवाल ये आता है। कि ये ऊर्जा आती कहाँ से है और किस तरह ये हमे प्रभावित करती है।
यदि हम थोड़ा सा विचार करे तो सभी उर्जायें एक कम्पन यानिकि वाइब्रेशन के रूप मे होती है। जैसे हवा एक ऊर्जा है। जो किसी भी चीज़ को कम्पित कर देती है। हमारे ह्रदय की ध्वनि भी कम्पित है।
यानिकि सकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा दोनों का वैज्ञानिक प्रमाण मांगे तो ये दोनों ही वाइब्रेशन के रूप मे सामने आती है। यानिकि ये एक तरंग है। जो हमारे आस पास होती है। कुछ लोग मुझ से पूछते है कि ये काम कैसे करती है। उदाहरण के तौर पे देखे तो जब हम सकारात्मक सोचते है। तो यकीनन सकारत्मक ही होता है । और नकारात्मक सोचने पर नकारात्मक ऐसा क्यों होता है। इनका प्रभाव हमारे जीवन पर कैसे पड़ता है।
तो इसका जवाब है। कि ये दोनों तरंग की तरह ही काम करती है । यानिकि जिस तरह किसी और चीज़ों से निकली तरंग हवा मे बहती रहती है। ठीक उसी तरह यह दोनों भी बहती रहती है। और हमारे शरीर से टकराती रहती है। जब हम कोई संगीत सुनते है तो हम उसकी उसी धारा में बहते चले जाते है। उदा, के लिए मानो हमने कोई दुःख भरा संगीत सुना तो हम भी उसी तरह सोचने लगते है। और दुखी होने लगते है। जब संगीत खत्म हो जाता है।तब हम सोचते है । हमारे साथ ऐसा कुछ नही हुआ फिर भी हम दुखी क्यों है। क्योंकि हमारा ब्रेन उस संगीत की तरंग को महसूस करता है। और उसी तरह सोचने लगता है। क्योंकि जब भी ब्रेन को कोई काम मिलता है। तो वह पूरा जरूर करता है। और ब्रेन को हम कार्य तरंग के माध्यम से ही दे सकते है। जैसे की हमे किसी चीज़ के रंग को जानना हो तब हम उस चीज़ को देखते है। और उस चीज़ से निकलने वाला प्रकाश हमारी आँखों के माध्यम से ब्रेन के न्यूरॉन तक जाता है। और न्यूरोन से फिर ब्रेन तक तब ब्रेन उसे पहचानने में लग जाता है। (सोचे तो ब्रेन तक जाने वाला प्रकाश भी तरंग ही है) इसी सिद्धान्त पर सकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा काम करती है। जब हम किसी ऐसे परिवेश मे आते है जहाँ सकारात्मक ऊर्जा की तरंग ज्यादा हो तो ब्रेन उसी तरह काम करता है और हमारे पुरे बॉडी के स्ट्रेक्चर को इसी तरह कर देता है। या अपने पूरे न्यूरॉन्स को इसी काम मे लगा देता है। यदि हम इसके विपरीत परिस्थितियों मे है जहाँ नेगेटिव ऊर्जा की तरंग ज्यादा है । तो हमारा ब्रेन इसके हिसाब से काम करता है। इस तरह की दोनों परी स्थितियों का स्त्रोत कोई भी हो सकता है। या तो कोई व्यक्ति,संगीत,किसी व्यक्ति की अच्छी या बुरी स्पीच,या फिर कोई विशेस घटना ।
कोई व्यक्ति कैसे जैसे सन्दीप माहेष्वरी जी,डॉ. बिंद्रा जी, हर्षवर्धन जैन जी अदि जिनकी विडियो और बाते सुन हम उनकी तरह ही सकारात्मक सोचते हे।
इन दोनों ऊर्जाओं मे जिसका स्तर ज्यादा होता है। ब्रेन उसी तरंग के मुताबिक काम करता है।
इसीलिये हमे रोज सकारात्मक ऊर्जा के लिए मंदिर,गुरूद्वारे या मस्जिद जैसे अपने अपने धर्म के हिसाब से प्राथना करने जाना चाइए क्योंकि मंदिर मे आरती की आवाज , गुरूद्वारे मे की गई प्रथना की आवाज और मस्जिद मे नमाज इन सभी से निकली तरंग हमारे ब्रेन को सकारात्म आदेश प्रदान करती है।
धन्यवाद,,,

This post writer -: सुपर अभी